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Literature Archives - Kanu Samaj Nepal

Literature

राजनेता

मैं जानता हूँ तुम क्या कहने आये हो बहुत दिनों के बाद क्यों नगर में छाये हो अब जनता तुम्हें पहचानती है तुम्हारे काले कारनामों को जानती है तुम कहते हो समाजवाद को लाना है गरीबी दूर भगना है खुशहाल देश बनाना है यदि यह सब हो गया फिर भाषण में क्या चिल्लाओगे ? हजारों की…

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लडकी

लडकों की तरह ही ईश्वर की बनाई, इन्सान है लडकी । सृष्टि का संचार, जीवन का आधार, समाज का वरदान है लडकी ।। माँ की कोख से जन्मी, पिता की गोद में पलि मानवता की अरमान है लडकी । अन्धकार में प्रकाशमान । अज्ञान में ज्ञान का, अवदान है लडकी ।। कठोर श्रम, स्वभाव नरम,

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माँ

माँ तेरे आँचल मे मेरा रचा–बसा संसार है । जननी है तू कीर्ति मनोहर तेरी लीला अपरंपार है । माँ तेरे आँचल में मेरा रचा–बसा संसार है । — प्रो. (डा.) पुष्पा गुप्ता, हिन्दी विभाग, एम.डी.एम. कालेज, आवास: अनुराग भवन, सुभाष नगर, मेन रोड, मुजफ्फरपुर–८४२००१ श्रोत: पुनरउत्थान, राष्ट्रिय त्रैमासिक पत्रिका, २०१६

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मोक्षदा एकादशी

माक्ष का अर्थ है छुटकारा । मनुष्य अपने कर्मानुसार चौरासी लाख योनियों में भटकता रहता है और अपने कर्मो के फल खाता रहता है । मनुष्य को सुख–दुःख आदि कर्मो के अनुसार ही मिलते हैं । सन्त महात्मा और सभी शास्त्र यह बतलाते हैं कि जैसे बीज बोओगे वैसे ही फल खाने को मिलेंगे ।

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बलहाडीह सहरसा में बाबा गणिनाथ के आगमन की कथा

पूज्य बाबा गणिनाथ जी की महिमा किंबदन्तियों के आधार पर कई प्रकार से प्रचलित हैं किन्तु विश्वसनीय महिमा निम्न प्रकार हैं– स्व. झींगुर दास जिनका निवास स्थान बलहाडीह, प्रो. गढिया सहरसा से ६ कि. मी. पश्चिम में अवस्थित है । उनका जन्म १८९० के समकक्ष है और मृत्यु १९८१ ई. में हुई । वे युवावस्था

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कान्दू (कानु) बन्धुओं से दो शब्द

कान्दू–एक परिचय   कान्दू वैश्य को जानने से पूर्व हमें अपना धर्म और सम्प्रदाय जानना आवश्यक है । धर्म उसको कहते हैं, जिसके नियम धारण करने योग्य हों । नियम १० हैं । शौचं त्यागस्तपोदानं स्वाध्यायश्च प्रतिग्रहः । व्रतोपवास मौनानि स्नानं च नियमादशः ।। १. मन कि स्वच्छता,     २. त्याग की भावना,     ३.

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बाबा गणिनाथजी : एक दिव्य पुरुष

  समझ नहीं पायेगा, युग–युग तक जग सारा, तुम मानव या मानवता के महाकाव्य थे ।। – नीरज गणिनाथ जी महाराज एक दिव्य पुरुष थे और महामानव एवं कर्मयोगी भी थे । मानवता, सह्दयता, अपनत्व–ममत्व के एक सच्चे उद्घोषक भी थे । अग्रहरि, हलुवाई, कलवार, तेली, कानू और कुम्हारों इत्यादि के लोकदेवता बाबा गणिनाथ का

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