लडकों की तरह ही ईश्वर की बनाई,
इन्सान है लडकी ।
सृष्टि का संचार,
जीवन का आधार,
समाज का वरदान है लडकी ।।
माँ की कोख से जन्मी,
पिता की गोद में पलि
मानवता की अरमान है लडकी ।
अन्धकार में प्रकाशमान ।
अज्ञान में ज्ञान का,
अवदान है लडकी ।।
कठोर श्रम, स्वभाव नरम,
साकार–सद्गुण,
विद्यमान है लडकी ।
पैसों के चकाचौंध से दूर ।
प्रेम से भरपूर ।।
प्रकृति का गान है लडकी ।।
सौदे –सा बिकते लडके बाजार में ।
लडकी है मन्दिर का पट
खुलने के इन्तजार में ।।
सौ में लडके, लडकी हजार में
दो घरों की शान
सम्मान है लडकी
लडकों कि तरह ही इश्वर की बनाई,
इन्सान है लडकी ।।
— सोनाली गुप्ता, बी. ए.
पुरानी मेहसी, पो.– मेहसी–८४५४२६, पूर्वी चम्पारण
श्रोत: पुनरउत्थान, राष्ट्रिय त्रैमासिक पत्रिका, २०१६