मैं जानता हूँ
तुम क्या कहने आये हो
बहुत दिनों के बाद क्यों नगर में छाये हो
अब जनता तुम्हें पहचानती है
तुम्हारे काले कारनामों को जानती है
तुम कहते हो
समाजवाद को लाना है
गरीबी दूर भगना है
खुशहाल देश बनाना है
यदि यह सब हो गया
फिर भाषण में क्या
चिल्लाओगे ?
हजारों की भीड में
क्या कहकर कसमें खाओगे ?
— प्रमोद नारायण मिश्र, स्वतंत्र पत्रकार, इमामगंज, मिश्र टोली, मुजफ्फरपुर
श्रोत: पुनरउत्थान, राष्ट्रिय त्रैमासिक पत्रिका, २०१६